पटना। न्यूज़ (विद्रोही)। बिहार विधानसभा के चुनावी महाभारत में इस बार नए खिलाड़ी के रूप में भाजपा के कभी कद्दावर नेता रहे यशवंत सिन्हा अपने सिपाहियों के साथ कूद पड़े हैं। उनके प्रशिक्षण में यूडीए कहिए या तीसरा मोर्चा के चुनावी 'घोड़ा' चुनावी महाभारत लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं। लेकिन मूल प्रश्न है कि क्या चुनावी महाभारत जितने के धुरंधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपाही और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के योद्धाओं को टक्कर देने की स्थिति में हैं। आगामी चुनावी महाभारत में एक तरफ 15 वर्षों अनुभवी धनुर्धर सामने है तो दूसरी ओर प्रशिक्षु सिपाही हैं। तीसरे मोर्चे के सामने युद्ध जितना कठिन तो है पर 'प्रकृति' उनके अनुकूल तब्दील हो सकती है। मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक परिस्थितियां पिछले चुनावी इतिहास से बिल्कुल अलग है। जनता कोरोना का मार झेल रही है। बिहार का कोई ऐसा परिवार नहीं है जो इस त्रासदी का डंक नहीं सहा हो। सरकार तो एक समय लाचार हो गयी जब लोग कोरोना की जांच के लिए छटपटा रहे थे और जांच नहीं हो रही थी। लोग इलाज के लिए एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल दौर लगा रहे थे और भर्ती के लिए जगह नहीं