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Showing posts from December, 2022

बिहार के क्राइम पर अंकुश लगाने आ गए ' सरदार' भट्टी साहेब। Will Bhatti combat crime in present regime

 पटना। न्यूज़। बिहार में इन दिनों लगातार बढ़ते अपराध के ग्राफ को देखते हुए पुलिसिया प्रशासन की लगाम कड़क राजविंदर सिंह भट्टी को थमाई गयी है। बिहार से आलोक राज व आरएस भट्टी का नाम केंद्र को भेजा गया था। सूत्रों के मुताबिक राजद ने आलोक राज को डीजीपी बनाने की सिफारिश की थी किंतु केंद्र ने 1990 बैच के आइपीएस पदाधिकारी राजविन्दर एस भट्टी को हरी झंडी दी। भट्टी अपने काम के प्रति वफादार व ईमानदार रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अब अपराधियों, बालू माफियाओं व शराब कारोबारियों पर चाबुक चलेगा। पटना के एसएसपी भी सरदार हैं और प्रदेश के पुलिस मुखिया भी अब सरदार हो गए हैं। इन दोनों पर बड़ी जिम्मेवारी है। भट्टी साहेब नीतीश की भी पसंद है। नीतीश जानते हैं कि मौजूदा समय कड़क अफसर का है जो राजद की सिफारिश को अनदेखा कर सके। भट्टी साहेब संजीव कुमार सिंघल के रिटायर होने के बाद बिहार के डीजीपी बनाये गए हैं।

जहरीली शराब से मौत का ठीकरा भाजपा पर फोड़ने की तैयारी। एसपी संतोष यादव पर कारवाई क्यों नहीं।

छपरा। न्यूज़। सारण जिला के छपरा क्षेत्र के दायरे में अब तक जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंचने के करीब है। इस शराब से मौत का जिम्मेवार कौन है इससे अधिक राजनीतिक पार्टी को मोहरा बनाने की तैयारी चल रही है। एसपी और डीएम अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए और महागठबंधन के नेताओं को खुश करने के लिए भाजपा व सवर्णों पर ठिकरा फोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। गौर करने की बात है पूरे सारण जिले के पहरेदारी की जिम्मेवारी वहां के डीएम राजेश मीणा और एसपी संतोष कुमार यादव की है। ऐसे में यदि तमाम सुरक्षा के बावजूद सारण में शराब बिक्री हुई तो डीएम और एसपी कैसे बच सकते हैं। अपने को बचाने के लिए नया ट्विस्ट देने की कोशिश हो रही है ताकि महागठबंधन के मोगैम्बो खुश हो जाये। जनता के बीच संदेश जाए कि भाजपा व उसके नेता शराब बेचवाते है । रिपोर्ट के मुताबिक थाने में रखे गए स्प्रिट का पूरा गैलन खाली हो गया और पुलिस झुठला रही है। जहरीली शराब के कारोबारी पर कठोर कारवाई हो। उन्हें उम्र कैद की सजा मिले पर सारण के एसपी व डीएम पर भी कारवाई हो। 

आखिर जिनपर शराब रोकने की जिम्मेवारी वो डीएम, एसपी कैसे हैं नीतीश के 'घरारी'। Why no action on DM/SP of Saran

 पटना। न्यूज़। जिस सारण ( छपरा) जिले के इशुआपुर और मशरख में जहरीली शराब से हर घर मे मातम पसरा है पर उस जिले के डीएम और एसपी पर क्यों नहीं कारवाई हुई। जब पूरे प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू है तो सारण जिले में शराब की एंट्री कैसे हुई।आखिर डीएम और एसपी की चौकीदारी के बावजूद मशरख में जहरीली शराब कैसे पहुंची। यदि तमाम सुरक्षा के बावजूद शराब की बिक्री हो रही है तो उस जिले के डीएम और एसपी पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हो रहा है। सारण में अब तक जहरीली शराब से तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।जय प्रकाश नारायण की कर्मस्थली छपरा के आसपास जहरीली शराब से लाशें बिछी हैं। बिहार उन दोषियों को पकड़ने के लिए एक और आंदोलन खोज रहा है। सारण के डीएम, एसपी समेत पूरे प्रशानिक व्यवस्था को बदलने की जरूरत है ताकि अन्य जिले इससे सबक ले सके। शराब पुलिस महकमा की कमाई का धंधा बन चुका है। कोर्ट में भी मोटी रकम जा रही है। इसलिए जंगलराज जैसे मोई नया आदेश सामने आ रहा है। संसद में फिर जहरीली शराब का मामला उठा है। सांसद राजीव प्रताप रुडी ने जहरीली शराब की जांच के लिए सारण में केंद्रीय टीम भेजने की मांग की है। वहीं प्र

जान बचाने का शराबबंदी कानून बन रहा जानलेवा.

पटना। न्यूज़। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता का जान बचाने के लिए सूबे में शराबबंदी कानून बना दी पर यह कानून जहरीली शराब की ओट में सैकड़ों की जान ले चुका है और हजारों गरीब लोग शराब पीने के कारण जेल में बंदी पड़े हैं। 14-15 दिसम्बर 2022 के बीच सारण जिले में 20 लोगों की मौत जहरीली शराब से हो गयी है। यदि वर्ष 2016 यानी जबसे शराबबंदी कानून लागू हुआ है उस दिन से गणना की जाए तो सैकड़ों लोग शराबबंदी के भेंट चढ़ चुके हैं। देखिए सारण जिले के किन किन लोगों की मौत शराब पीने से हुई है। निम्न सारण जिले के मशरख ब्लॉक का आंकड़ा है:  संजय कुमार सिंह, वकील सिंह, डोयला. हरेंद्र राम, गणेश राम, मशरक तख्त. भरत साह, गोपाल साह, शास्त्री टोला , मशरक. मोहम्मद नसीर, शमशुद्दीन मिया, तख्त. विचेन्द्र राय, नरसिंग राय, डोयला. रामजी साह, गोपाल साह, शास्त्री टोला, मशरक. अजय गिरी, सूरज गिरी, बहरौली, मशरक. मनोज कुमार, लालबहादुर राम, दुरगौली, मशरक. भरत राम, मोहर राम, मशरक तख्त.कुणाल सिंह, जद्दु सिंह, यदु मोड़ , मशरक. जयदेव सिंह, विन्दा सिंह, बेन छपरा, छपरा. अमित रंजन सिन्हा, दिवेन्द्र सिन्हा, डोयला, इसुआपुर. गोविंदा रा

नीतीश अब तेजस्वी के लिए नहीं छोड़ेंगे कुर्सी !Nitish will not leave CM post for Tejaswi!

 पटना। न्यूज़। ( विद्रोही)। सीएम की कुर्सी पर आंख गड़ाए तेजस्वी यादव को वर्ष 2025 तक डिप्टी सीएम से ही संतोष करना पड़ेगा। सीएम नीतीश कुमार ने आज स्पष्ट कर दिया कि वर्ष 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यानी तब तक सीएम की कुर्सी पर अपनी नजर न रखे। बिहार की राजनीति का यह बड़ा बयान है और इस बयान में कई अर्थ छिपे हैं। पहली बात कि जबतक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम हैं राजद या तेजस्वी यादव को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि उन्हें सीएम की कुर्सी मिलेगी। साथ ही नीतीश के इस बयान से उनके कार्यकर्ता एकजुट रहेंगे। राजद व जदयू के विलय प्लान से जदयू में खलबली मची है। नीतीश के ताजा बयान से फिलहाल जदयू के नेता शांत हो जाएंगे। अगला तीन साल किसने देखा है। अलबत्ता नीतीश ने राजद की औकात बात दी है। अब न जगदानंद कुछ बोलेंगे और न ही शिवानंद कटाक्ष करेंगे। यह विश्लेषण का विषय है कि वर्ष 2024 का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ने की बात कहकर नीतीश अपनी पार्टी का भविष्य किसके कंधे पर छोड़ना चाहते हैं। क्या नीतीश रहित जदयू के कार्यकर्ता तेजस्वी की अगुवाई स्वीकार कर लेंगे। समझ जाता है कि

आखिर नीतीश पीएम के सामने आए। बिहार के लिए शुभ संकेत। Nitish participated in PM meeting.

 पटना। न्यूज़।( विद्रोही)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में शामिल होकर अनुभवी कूटनीति का परिचय दिया है। भले ही यह मीटिंग जी 20 की तैयारियों को लेकर ऑनलाइन आयोजित की गई थी पर बिहार की राजनीति के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। जबसे प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी है तबसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं हुई है। हालांकि इस दौरान दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्री से संबंधित कई बैठकें हुई पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस मीटिंग में शामिल होने से बचते रहे। करीब 6 महीना बाद नीतीश कुमार ऐसी मीटिंग में शामिल हो रहे हैं जिसमें पीएम भाग ले रहे हैं।   फ़ाइल फोटो  जी 20 की बैठक के सिलसिल में अतिथियों का आगमन नालंदा भी होने वाला है। नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी है। ऐसे में कूटनीतिक तौर पर मुख्यमंत्री की भागिरदारी जरूरी है। साथ ही हालिया कुढ़नी विधानसभा का उपचुनाव भी आंखे खोलनेवाला है। तेजस्वी यादव समेत 8 दलों का बल भी जदयू को जीता नहीं सका। नीतीश समझ गए हैं कि आगामी किसी भी चुनाव में राजद की मंशा तो पूरी ही जाएगी प

बिहार में नीतीश की सारी रणनीति लड़खड़ाई। Nitish strategies fractured not only in Kudhani but in all Bihar

 पटना। न्यूज़। (विद्रोही)।  गुजरात, हिमाचल प्रदेश व कुछ विधानसभा उपचुनाव के रिजल्ट आने से देश का माहौल आज चुनावमय है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह रिजल्ट परेशान करने वाला है। भाजपा का साथ छोड़ वह आठ दलों के समर्थन से महागठबंधन की सरकार बनाये थे पर यह समीकरण नीतीश को फलदायी साबित नहीं हो रहा है। आज कुढ़नी के परिणाम से यह तय हो गया है कि आगे आने वाला चुनाव भी नीतीश को झटका दे सकता है। मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत कुढ़नी में जदयू ने सारी ताकत झोंक दी थी। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक मंच पर तेजस्वी यादव के साथ चुनाव प्रचार में उतरे पर भाजपा ने उन्हें पटकनी दे दी। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा ही रिजल्ट जनता देगी तो अगले लोकसभा चुनाव में भी नीतीश के मंसूबे पर पानी फिर जाएगा। राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि जो अपने बिहार में आठ दलों के बलबूते एक सीट जीत नहीं सकता वह देश मे पीएम पद का चेहरा कैसे बन सकता है। चर्चा यह भी है कि राजद के वोटबैंक ने नीतीश के उम्मीदवार के लिए न खुलकर प्रचार किया और न ही वोट दिया। लिहाज जदयू को शंका है कि अगले चुनाव में भी राजद समर्थक उसे झटका दे सकते हैं। यद

सिंगापुर से इंडिया को सीखना चाहिए।Learn a lesson from Singapore in context of Lalu.

 पटना। न्यूज़। (विद्रोही) । सिंगापुर में आज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन सफल हुआ । बहुत शुभकामनाएं। उनके समर्थकों को बधाई। बिहार के गोपालगंज जिले से भैंस चराने के सफर से बिहार के मुख्यमंत्री व फिर केंद्र में रेल मंत्री और फिर जेल की यात्रा करने वाले लालू यादव की कहानी भी बहुत निराली है। बिहार का एक अदना से लाल ने इतना कमाया कि उनके पुस्त दरपुस्त को सौ वर्षों तक कोई कमी नहीं होगी। उनके 9 बच्चे  जहां हैं राज कर रहे हैं। जिय हो बिहार के लाल! भ्रष्टाचार के कई मामलों में लालू सजायाफ्ता हैं। जेल काट चुके हैं। बेल पर है।तो क्या हुआ। पैसा तो है। इतना पैसा है कि कोर्ट फैसला सुनाते सुनाते थक जायेगा। जनता में भ्रम फैलाया जाएगा। लालू को फंसाया जा रहा है। फिर नीतीश कुमार जैसे साथी मिल जाएंगे और हारने के बाद भी लालू ले लाल सत्ता की कुर्सी पर बैठ जाएंगे। और फिर अपराध, लूट व पलायन का दौर। यही हो रहा है बिहार के साथ। अब हम आते हैं सिंगापुर पर। 31 अगस्त 1963 को सिंगापुर  यूनाइटेड किंगडम से आजाद हुआ। भारत वर्ष 1947 में ब्रिटेन से आजाद हुआ। दोनों के विकास में जमीन आसमान का

नीतीश व भाजपा की जीत-हार बयां करेगा कुढ़नी का मैदान। It's fight of Nitish between BJP in Kudhani battle field.

 पटना। न्यूज़। भाजपा को आउट करने के बाद तेजस्वी की टीम के साथ चुनाव मैदान में उतरे नीतीश कुमार के लिए कुढ़नी उपचुनाव काफी निर्णायक साबित होने वाला है। सही मायने में जीत-हार दोनों का सेहरा नीतीश के सिर बंधेगा। जीत गए तो नीतीश बादशाह की तरह महागठबंधन की सरकार दौड़ाएंगे और हार गए तो तेजस्वी को सहेंगे। साथ ही महागठबंधन के जबरदस्त दबाव उनपर पड़ेगा। उधर भाजपा लुकारी भांजना शुरू कर देगी। नीतीश कुमार का नींद चैन उड़ा देगी।  यदि कुढ़नी उपचुनाव में भाजपा जीत जाती है तो उसे अगले लोकसभा चुनाव लड़ने में बड़ा बल मिल जाएगा। भाजपा को भरोसा हो जाएगा कि वह महागठबंधन को पटखनी दे सकती है। महागठबंधन के सात दल कुढ़नी में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ खम ठोके हैं। मुकाबला काफी रोचक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 दिसंबर को तेजस्वी यादव के साथ चुनाव प्रचार किया। भाजपा से खार खाये पूर्व मंत्री मुकेश साहनी ने भी भाजपा को हराने के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। साहनी ने ऐसा उम्मीदवार दिया है जो भाजपा का वोट काटे। लेकिन साहनी वोट खींच लिया तो उल्टे महागठबंधन को भारी पड़ जायेगा। इस बीच भाजपा के लिए अनुकूल परिस्थितियां यह है कि