Skip to main content

Posts

Showing posts from November, 2022

आखिर तेजस्वी क्यों पत्रकारों को कहते हैं आप जगदानंद को नहीं जानते। Why Tejaswi always says you people don't know Jagdanand

 पटना। न्यूज़। उपमुख्यमंत्री व राजद के निर्णायक नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से जगदानंद सिंह को लेकर जब भी सवाल किया जाता है वे कॉन्फिडेंटली कहते हैं आप सब जगदानंद सिंह को जानते ही नहीं है। आज राजद कार्यालय में पत्रकारों के यह सवाल कि ढाई महीने बाद जगदानंद ऑफिस आये हैं, उन्होंने तपाक से जवाब दिया आप जगदानंद सिंह को जानते ही नहीं है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर पिछले दिनों अटकलों का बाज़ार गर्म था। जबसे उनके पुत्र सुधाकर सिंह से राज्यमंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया तबसे जगदानंद सिंह नाराज चल रहे थे। ऐसी अटकलें उड़ रही थी वह प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे पर अंततः तेजस्वी की बात सही हुई। यही कि, आप जगदानंद को जानते ही नहीं। यानी जगदानंद का प्राण लालू के हांथ में है। उसे कोई छीन नहीं सकता है। लालू ही जगदानंद को कुछ कर सकते हैं। बात भी सही है। ज्ञात हो इशारे इशारे में जगदानंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खूब आलोचना की। यहां तक बात फैली कि नीतीश को अब तेजस्वी के लिए ताज छोड़ विपक्षी एकता मुहिम में लग जाना चाहिए। ध्यान रहे नीतीश को मुख्यमंत्री से अलग करने के

भाजपा के मुद्दे को छीन रहे नीतीश. NITISH CATCHING BJP HINDUS ISSUES.

पटना . न्यूज़ .मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के मोहक एजेंडे को अपने पाले खींचकर जनता के बीच पासा फेंकना शुरू कर दिया है. भाजपा अंदर ही अंदर कुलबुला रही है। नीतीश ने जोर का झटका धीरे से दिया है। भाजपा को चोट लगी है पर वह ऐसे मुद्दे का विरोध भी नहीं कर सकती. ताजा माम्रला गंगा जल का है। घर घर गंगा का जल पहुँचाने का मुद्दा भाजपा ने उठाया था. पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ प्रेम कुमार ने गया में गंगाजल के लिए शिलान्यास भी किया था। प्रेम कुमार तो वर्ष 2020 के पहले ही सत्ता से बेदखल कर दिए गए किंतु वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को पटखनी देने के बाद नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी तो गंगा जल का मुद्दा मौन गया। लेकिन जैसे ही तेजस्वी संग नीतीश ने नई सरकार का गठन किया । यहां नया खेला शुरू हो गया।महागठबंधन को भी गंगा याद आ गयी है । जो भी हो यह जनता के फायदा की बात है।   अब सत्ता से भाजपा को हटाकर नीतीश कुमार ने गंगाजल मामले पर अपना नाम लिख दिया. कल राजगीर में गंगा जलाशय के लोकार्पण का पूरा श्रेय नीतीश को मिला है. आज यानि २८ नवम्बर को गया में गंगा जलाशय का लोकार्पण ह

सोनपुर मेला में रंग में भंग। अनामिका को बिहार में कविता पढ़ने से मना किया। Literature defamed in Bihar.

 पटना। न्यूज़। बिहार के सोनपुर मेला का नाम देश ही नहीं एशिया में है। इस बार सोनपुर मेला खूब रंग जमा रहा था, किंतु कवियत्री अनामिका जैन अम्बर को कविता पढ़ने से रोके जाने के कारण सोनपुर मेला के रंग में भंग पड़ गया। अनामिका ने रुंधे गले से पटना एयरपोर्ट पर अपने दुख का बायां किया। 25 दिसंबर को सोनपुर मेला में कवियों के लिए मंच सजा था। देश भर के कवि सोनपुर मेला में चार चांद लगाने आये थे। अनामिका जैन भी मंच पर काव्यपाठ के लिए तैयार हो रही थी। इसी बीच प्रशासन की तरफ से अधिकृत अधिकारी ने अनामिका को काव्य पाठ करने पर प्रतिबंध लगा दिया।  कहा गया अनामिका को छोड़ सभी काव्य पाठ कर सकते हैं। ऐसे फरमान पर सभी कवियों ने मंच छोड़ना उचित समझा। विरोध में किसी ने काव्य पाठ नहीं किया। सोनपुर मेला में नया इतिहास लिखा गया। व्यक्त हो यही अनामिका जैन हैं जिन्होंने  नेहा सिंह राठौड़ के यूपी में का बा का जवाब यह कहकर दिया था कि यूपी में बाबा बा।

बिहार के शराबी चूहे मथुरा पहुंचे, खाया गांजा। Drunken rats of Bihar reached to Mathura

 पटना। (विद्रोही)। न्यूज़। एक चौंकानेवाली खबर है। मथुरा के थाने से 581 किलो गांजा लापता हो गया।इस बाबत जब कोर्ट ने पूछा तो यूपी पुलिस ने जवाब दिया, हुजूर चूहे सभी गांजा खा गए।ये  गनीमत है कि चूहे गांजा नहीं पी रहे हैं। यदि चिलम भी गायब होता तो हो सकता था इसकी चोरी का भी इल्जाम चूहे पर लग जाता। याद हो बिहार में जब वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू हुई तो बड़ी मात्रा में शराब बरामद होने लगी। थाने में जब्त कर लिया जाता था। उस समय यहां कोर्ट ने पूछा कि हजारों शराब की बोतलें कहाँ गयी । इस पर बिहार पुलिस ने जवाब दिया था कि हुजूर, चूहे हजारों लीटर शराब पी गए। इतना ही नहीं भागलपुर में एक पुल जब ध्वस्त हुआ तो इसके लिए चूहे पर ठिकरा फोड़ सारे अधिकारी बच निकले। चूहे इतने शक्तिशाली हैं लेकिन जब लड़ाई की बात आती हो तो मनुष्य अपने विरोधियों को चूहे कहकर मजाक बना देता है। आखिर गणेश जी की सवारी भ्रष्ट मनुष्य का कब तक लाज बचाते रहेंगे। भ्रष्टाचारियों को शर्म आनी चाहिए।

आखिर छात्र संघ चुनाव में नीतीश ने जता दिया हम हैं किंगमेकर। chhatra JDU wins 4 posts among 5 in PU election

 पटना। न्यूज़। कभी पटना विश्वविद्यालय में दबदबा रहे लालू यादव का वर्चस्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तोड़ दिया है। पीयू में छात्र संघ चुनाव के मुख्य 5 पोस्ट में छात्र जदयू ने 4 पोस्ट पर परचम लहरा दिया है। भाजपा की अनुषंगी संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को एक मात्र महासचिव का पद हांथ लगा है। बताया जाता है कि छात्र जदयू की जीत के पीछे पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रो. रणबीर नंदन की रणनीति और मेहनत रंग लाई है। कायस्थ समाज का कलाम दवात परिषद ने छात्र जदयू के खुलकर समर्थन किया। विश्वविद्यालय में कायस्थ व भूमिहार ब्राह्मण छात्रों की अच्छी खासी संख्या है।छात्र जदयू से अध्यक्ष पद पर जीते आनंद मोहन भूमिहार ब्राह्मण समाज से आते हैं।  छात्र जदयू के आनंद मोहन ने अध्यक्ष पद पर एक बड़े अंतर से विजय प्राप्त किया है जबकि उपाध्यक्ष पद विक्रमादित्य सिंह 13 सौ से अधिक वोट से जीते। संयुक्त सचिव पद पर तो छात्र जदयू की संध्या कुमारी ने 2 हजार से भी अधिक वोट से विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशी को परास्त किया तो कोषाध्यक्ष पद पर भी छात्र जदयू के रविकांत ने विद्यार्थी परिषद से लगभग हजार वोट से जीते। जदयू के प्रदेश

आखिर कुर्मी नेता क्यों हैं हासिये पर! Kurmi leaders are not well regarded in his parties before Nitish..

पटना। न्यूज़। नीतीश के आगे किसी भी दल में कुर्मी नेता आगे नहीं बढ़ पाए। लेकिन तेजस्वी को लेकर नीतीश के ताजा बयान से कुर्मियों में नीतीश के विकल्प की भी खोज शुरू हो गयी है। अलबत्ता भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों में यह धारणा बन गयी कि कुर्मी को टिकट देने से कोई फायदा नहीं क्योंकि कुर्मियों का सारा वोट तो नीतीश बंटोर ले जाएंगे। 17 वर्षों से यही होता आ रहा है जबसे नीतीश बिहार में मुख्यमंत्री का ताज पहने हैं। ऐसे में भाजपा समेत सभी दलों में कुर्मी नेता हासिये पर रखे गए हैं। बिहार भाजपा में कई कुर्मी नेता हासिये पर हैं। संगठन में कुछ गैर महत्वपूर्ण पदों का लॉलीपॉप थमा दिया गया है पर विधानपरिषद या राज्यसभा में अन्य जातियों के नेता छाली काट रहे हैं। भाजपा में कुर्मी नेताओं को बयान जारी कर वोट बंटोरने की जिम्मेवारी दी गयी है। पार्टी के डिफेंडर का काम कर रहे हैं लेकिन इस पर भी इनकी टांग खिंचाईं जारी है। राजनीतिक दलों खासकर भाजपा व जदयू ने भी चुनाओं में  अपने दलों से कुर्मी नेताओं को आजमाया पर बाजी नीतीश को ही लगी। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नीतीश को टक्कर देने के लिए सारे कुर्मी व कुश