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Showing posts from June, 2021

कहीं बिहार की खिचड़ी दिल्ली में तो नहीं पक रही। Bihar politics is on in Delhi

 पटना। न्यूज़। विद्रोही। बिहार की राजनीति में कुछ उलटफेर की गंध आने लगी है। दिल्ली में राजनीतिक खिचड़ी पकने के संकेत मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही दिल्ली में अपनी आंख का इलाज करा रहे हैं। अब उनके मित्र जीतन राम मांझी भी इलाज के लिए दिल्ली चले गए हैं। उधर केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की भी तैयारी चल रही है। लोजपा के घायल नेता भी दिल्ली में ही हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इस तरह दिल्ली फिलहाल बिहार राजनीति का अड्डा बना है। इसी बीच तेजस्वी यादव ने बिहार की एनडीए सरकार टूटने की भविष्यवाणी कर दी है। कुल मिलाकर बिहार की राजनीति को लेकर अंदर ही अंदर कुछ खिचड़ी पक रही है। इसी बीच आज प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई। दिल्ली से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं में इस तरह जोश भरा जैसे चुनाव में बिगुल फूंका जाता है। नड्डा ने बिहार के अपने नेताओं को नया टास्क दिया है। प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने 6 जुलाई से मंडल स्तर पर कमर कसने की योजना बना ली । साथ ही भाजपा ने आने राजनीतिक प्रस्ताव के जरिये कह दिया कि समान नागरिक संहिता आज समय क

लोजपा के फायदे नुकसान को लेकर बीजेपी ने किया आंतरिक सर्वे। BJP gathered internal survey of LJP tragedy

 पटना। न्यूज़। विद्रोही। लोजपा यानी स्व. रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी का बिखराव पूरा देश देख रहा है। लेकिन इस बिखराव के बाद बिहार की जनता चिराग पासवान के साथ है या उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ। इस सवाल का जवाब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जानना चाहती है। जवाब के बाद भाजपा एक्शन में आएगी। बिहार की जनता की राय जानने की जिम्मेवारी पार्टी के खास नेताओं को दी गयी। इनमें कुछ की पहुंच सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है। पत्रकारों से भी राय ली गयी। भाजपा का यह आंतरिक सर्वे पार्टी के शीर्ष नेताओं के  पास दिल्ली पहुंच गया। माना जा रहा है कि आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट पर ही पीएम बिहार मामले पर अहम निर्णय लेंगे। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के सर्वे में स्पष्ट राय है कि लोजपा के उपजे ताजा हालात के बाद बिहार की जनता चिराग पासवान का साथ देगी। खासकर पासवान बिरादरी खुलकर चिराग के साथ है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा नेतृत्व ने चिराग मसले पर चर्चा की है। साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जदयू के पक्ष मालूम किया गया है। सूत्र बताते हैं कि च

चिराग के पीठ में चाकू मार रहे उनके सगे संबंधी और पार्टी के हालात का ठीकरा फोड़ रहे सौरव पर! Chirag relatives and JDU behind LJP faction but Saurav is dragged

 पटना। न्यूज़। लोजपा की टूट कहानी के पीछे कौन है, कौन जिम्मेवार है इसे पूरा देश जान गया है पर चिराग के पीठ में छुरा मारने वाले अपना दोष छिपाने के लिए सौरव पांडेय पर ठिकरा फोड़ रहे हैं। क्या चिराग नौसिखिए हैं कि सौरव पांडेय की बातें मान लेंगे। क्या चिराग में अपनी सोच नहीं है। क्या चिराग ने खुद बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़ने का निर्णय नहीं किया था। चिराग ने तो अपने पिता स्व. रामविलास पासवान के रहते राजनीति शुरु कर दी थी। तो क्या रामविलास से अधिक धाक सौरव का हो गया था। क्या सौरव के कहने पर चिराग जमुई से चुनाव जीते ? वास्तविकता है कि चिराग में इतनी क्षमता है कि वह खुद निर्णय ले सके। चिराग सारे निर्णय खुद लेते हैं। चूंकि चिराग के चाचा जानते है कि सीधे भतीजा पर दोष गढ़ेंगे तो परिवार आहत होगा इसलिए सारा ठिकरा सौरभ पर फोड़ दिया जाए।  समाज में खुद कुरीतियां फैलाने वाले लोग जिस तरह ब्राह्मण पर ठिकरा फोड़ देते हैं उसी तरह चिराग के पीठ में छुरा भोंककर सौरव पर निशाना साधा जा रहा है। चिराग के करीबी का कहना है कि स्वर्गीय राम विलास पासवान के सलाह पर पारस के जगह प्रिंस को प्रदेश अध्यक्ष बनाया

सूरजभान की चली।पारस बने लोजपा के अलग धरा के अध्यक्ष। Bihar people will decide the original LJP.

 पटना। न्यूज़। राजनीति गुड्डे गुड़िया का खेल हो गयी है। लोजपा का दो फाड़ तो हो ही गया था अब सूरजभान के इशारे पर पशुपति पारस को नया अध्यक्ष चुन लिया गया। उधर लोजपा के एक ग्रुप का अध्यक्ष चिराग पासवान हैं। यानी एक लोजपा के दो अध्यक्ष हो गए हैं। ये सब बंदरबांट केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह लेने के लिए हो रहा है। जाहिर है यदि पारस मंत्री बनेंगे तो मलाई सूरजभान अधिक खयेंगे। पारस को आगे करने में सूरजभान की महती भूमिका है। पारस तो  बस मुखौटा हैं असली किरदार तो सूरजभान हैं।  चूंकि सूरजभान दबंग नेता है। पूर्व में उनके ऊपर कई आपराधिक केस चल चुका है। सबमें बरी हुए। ऐसे में पारस गुट ने डराने के लिए सूरजभान को आगे कर दिया। सूरजभान के आवास पर ही पशुपति पारस को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया। चिराग कहते हैं वह सिद्धान्त की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें दबंग व बाहुबली नेता पसंद नहीं है। अब जनता जनार्दन तय करेगी कि असली नकली कौन है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि  जात की राजनीति खुलकर हो रही है। पारस गुट में भूमिहार का बोलबाला है जबकि पार्टी की मूल राजनीति पासवान पर टिकी है। दरअसल भाजपा के एक खास वोटबैंक पर सेंध मा

चुनाव में असली औकात पता चलेगा चिराग और पारस की।Next Election will prove the strength of Chirag and Paras

 पटना। न्यूज़। विद्रोही। लोजपा का जारी अंदरूनी संग्राम  का फैसला अब जनता ही करेगी। तत्काल लोजपा की लड़ाई कोर्ट में उलझ जाएगी। इसलिए वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के महाभारत का इंतजार कीजिये। इसके पहले चिराग और पारस गुट की लड़ाई सड़क पर आ जायेगी। भाजपा इसलिए मध्यस्तता नहीं करना चाहती क्योंकि उसे डर है कि नीतीश कुमार नाराज हो जाएंगे। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद  नीतीश कुमार समेत सहयोगी दलों के हौसले बुलंद है। भाजपा फिलहाल दिल्ली की कुर्सी के लिए सबकुछ बर्दास्त करेगी। भाजपा को भी अब कुर्सी का मोह लग गया है। यह पार्टी वसूलों से समझौता नहीं करने का दावा करती थी किन्तु CAA समेत कई मुद्दों को बिहार में उठाने से डरती है। बहरहाल जदयू और भाजपा दोनों लोजपा की लड़ाई मकुं रहकर देख रहे हैं। ऐसा न हो कि इस लड़ाई को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में बिहार से किसी मंत्री को ही न बनाया जाए। कल पशुपति पारस गुट ने बैठक बुलाई है और इस बैठक में उनके तरफ से नए अध्यक्ष के एलान हो जाएगा। इसके पहले चिराग गट की तरफ से चिराग को ही पार्टी का अध्यक्ष माना गया है। चिराग ने राजू तिवारी को पार्टी का प्

लोजपा में टूट के बाद भी चिराग की नहीं बुझेगी लौ। Now Chirag's Agnipariksha starts

 पटना। न्यूज़। ( विद्रोही)। बिहार में लोजपा की बड़ी टूट के साथ ही यहां खेला शुरू हो गया है। चिराग पासवान के अपने सगों ने पार्टी के पांच सांसदों के साथ चिराग को अलग थलग कर दिया। इस परिस्थिति के लिए खुद चिराग पासवान,  उनके खास चाचा पशुपति कुमार पारस और नीतीश कुमार सूत्रधार हैं। जब तक  किसी नेता की छवि जनता के दरवाजे पर खाक छानने की नहीं होगी वह अपनी जाति की राजनीति नहीं कर सकता है। रामविलास पासवान ने जमीन तैयार की थी। उसकी कमाई उनके दोनों भाई पशुपति कुमार पारस व रामचन्द्र पासवान खा रहे थे। रामविलास के निधन के बाद इन्हें ढोने वाला कोई नहीं है। जो संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए बिहार की राजनीति में अभी रामविलास पासवान का ही नाम बिकेगा। पासवान वोट रामविलास के कारण चिराग के साथ ही हैं। ये बात अलग है कि पारस केंद्र में मंत्री बन जाएंगे। किन्तु किसी भी चुनाव में  चिराग जहां रंहेंगे पासवान का वोट उन्ही की तरफ जाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस ,वामदल  व राजद के नेताओं ने चिराग को अपने साथ आने का निमंत्रण दिया है।  वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय से ही लोजपा में टूट की नींव पड़ गयी थी। चुनाव

छपरा वासी संतोष वॉशर मैन से आर्मी में ऑफिसर बना। Santosh of Chhapra becomes Army officer from Housekeeper, safai wallah.

 पटना। न्यूज़। ( विद्रोही)। यदि दिल में जज्बा हो तो मुकाम हासिल होकर रहता है, बशर्ते कोई सही मार्गदर्शक मिल जाये। ऐसी ही एक प्रेरक सच्ची कहानी है संतोष कुमार राय की। संतोष बिहार के छपरा ( सारण) के रहनेवाले हैं। जैसा कि हर बिहारी में नौकरी पाने की ललक होती है। इन्होंने आर्मी में वाशरमैन ( धोबी)  लिए आवेदन दे दिया। वर्ष 2014 में आर्मी में इनकी नियुक्ति वॉशर मैन के पद पर हो गई। संतोष की पहली पोस्टिंग कश्मीर में हुई। संतोष को आर्टिलरी यूनिट मिला। सूत्रों के मुताबिक उनदिनों इस यूनिट के कमान ऑफिसर  प्रवीण कुमार हुआ थे। इसी बीच संतोष कमांडिंग ऑफिसर प्रवीण कुमार की नजर में आये। कर्नल प्रवीण ने संतोष का साक्षात्कार भी लिया। इसी दौरान कर्नल प्रवीण को पता चला कि संतोष वाणिज्य विषय में ग्रेजुएट है। साथ ही संतोष की एकेडमिक रिकॉर्ड भी अच्छा है। इसके बाद प्रवीण संतोष को गाइड करने लगे। हाल ही में संतोष आर्मी में लेफ्टिनेंट ऑफिसर बन गए हैं। फिलहाल उनकी पोस्टिंग राजस्थान में हुई है। ये गया ओटीए से पास आउट हैं। इनके माता पिता प्रयाग राज में रहते हैं। आर्मी के बड़े अफसर प्रवीण कुमार की सराहना चारों ओर हो रह

तो यूपी में चुनाव के पहले योगी छोड़ेंगे कुर्सी। जाएंगे केंद्र में! BJP will change the guard of UP before election

 पटना/ नई दिल्ली। द न्यूज़ ( विद्रोही)। पश्चिम बंगाल से जनता का लठ देखते हुए भाजपा आने वाले समय मे बड़ी उलटफेर करने जा रही है। उत्तरप्रदेश से इसकी शुरुआत होने जा रही है। भाजपा सियासत के ताजा अंदाज को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विदाई तय है। चूंकि योगी के हटने के साथ उनका वोटबैंक भी जुड़ा रहे इसलिए उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेवारी दी जा सकती है। यूपी के हालिया पंचायत चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई थी। यह भी तर्क दिया जा रहा कि यूपी का पूर्वी व पश्चमी दो हिस्सों में विभाजन होने से सामाजिक समीकरण बदल जायेगा। ऐसे में भाजपा को फायदा हो सकता है। इसके लिए भी योगी से केंद्र विचार विमर्श कर रहा है। सूत्रों के अनुसार उत्तरप्रदेश में भाजपा ने सर्वे कराया था। सर्वे में पता चला कि चुनाव में योगी के रहते भाजपा की नैया डूबना तय है। प्रदेश में हर तबका योगी से नाराज है। गोरखपुर के राजपूत को छोड़कर पूरे प्रदेश के ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्त, यादव, लोध, कुर्मी, कुशवाहा, निषाद, दलित समेत अनेक उपजातियां योगी के शासन से नाराज हैं। सर्वे में कहा गया कि पश्चि

बिहार में एक दिन में बदल गए कोरोना से मौत के आंकड़े। कोरोना से 9375 लोग बिहार में मरे।9375 died of covid-19 in Bihar

 पटना। न्यूज़ ( विद्रोही)। बिहार में 7 जून तक कोरोना से मौत के आंकड़े 5424 था, किन्तु 24 घंटे बाद यानी 8 जून 2021  को यह आंकड़ा 9375 हो गया। राज्य सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने आज आधिकारिक तौर पर बताया कि बिहार में कोरोना से अब तक 9375 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा प्रथम फेज और द्वितीय फेज मिलाकर है। हालांकि राज्य के हित में एक बड़ी खबर यह है कि कोरोना से पॉजिटिव होने के बाद जो लोग निगेटिव हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी तो ऐसे लोगों को भी सरकार 4 लाख का  मुआवजा देगी। ऐसे मृतक लोगों की काफी संख्या है जो निगेटिव होकर घर या अस्पताल में मर गए। उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोविड से निधन दर्ज नहीं रहता है। लेकिन बिहार सरकार ने मृतक के परिजनों को बड़ी राहत देते हुए एलान किया कि वैसे लोग जो कोरोना पॉजिटिव होने केबाद निगेटिव हो गए और उनकी मृत्यु किसी वजह से हो गयी तो उनके परिजनों को चार लाख का मुआवजा मिलेगा। मौत के आंकड़े में अचानक बढ़ोतरी का एक कारण यह भी है। निगेटिव वाले मृतकों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने जिलावार कोविड से मृतकों की सूची दी है। बिहार मे