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Showing posts from August, 2020

प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस को सत्ता दिलाई थी। Pranab Mukherjee bring back congress to power in 2004

  नई दिल्ली। ( विद्रोही की कलम से)। बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सत्ता में आने का मूलमंत्र प्रणब मुखर्जी ने ही दिया था। आज प्रणब दा के निधन पर पक्ष, विपक्ष पूरा देश शोक मना रहा है। वर्ष 1998 व इसके बाद 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद कांग्रेस दुर्दिन के दौर से गुजर रही थी। एक तरफ कांग्रेस में नए अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर बहस व चर्चाएं शुरू हो गयी थी। सभी कांग्रेसी मिलकर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिए थे। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय व 10 जनपथ के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया था। किंतु सोनिया गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं थी। उस समय कांग्रेस का मीडिया संचालन भी गड़बड़ा गया था। खैर, सोनिया गांधी ने पार्टी का अध्यक्ष पद स्वीकार किया। कांग्रेस मीडिया में भी मूल चूल परिवर्तन हुआ। प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस मीडिया का अध्यक्ष बनाया गया। ये सब तब हो रहा था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी का शाइनिंग इंडिया शबाब पर था। प्रणब दा 24 अकबर रोड में प्रेस को संबोधित भी करने लगे।

मांझी अब 2 सितंबर को पत्ता खोलेंगें

पटना। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने 2 अगस्त को अपना पट्टा खोलने का फैसला किया है। पहले वह 30 अगस्त को ही निर्णय लेने वाले थे। ज्ञात हो कि मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से एनडीए में शामिल होने के लिए विधिवत न्योता का बाट जोह रहे हैं। पिछले दिनों उनकी मुलाकात नीतीश कुमार से हुई थी। पार्टी की तरफ से बयान आया है कि एनडीए में शामिल होने का विकल्प खुला है।

एस पी सिंगला को मिला गंगा पार नया पुल निर्माण का जिम्मा

पटना। एस पी सिंगला कंपनी ने लार्सन टूरबो और टाटा को पछाड़ दिया है। महात्मा गांधी के समानांतर नया पुल निर्माण की निविदा में एसपी सिंगला बाजी मार ले गया है। सबसे कम राशि भरने के कारण एसपी सिंगला को पुल निर्माण का अवार्ड दिया गया। दूसरे नम्बर पर लार्सन टर्बो और तीसरे स्थान पर टाटा प्रोजेक्ट रहा। अक्टूबर में पुल निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।

मांझी का एनडीए में जाना तय

पटन।विद्रोही। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे आशीर्वाद ले लिया है। इस मुलाकात के बाद यह लगभग तय है कि मांझी को नीतीश कुमार अपने कोटे से स्पेस दे देंगे। मांझी के एनडीए में जाने की हरी झंडी मिल गयी है। हालाकिं जीतन राम मांझी ने कहा है कि वे क्षेत्र के विकास के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले हैं।  हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि हम के एनडीए में शामिल होने का विकल्प खुला है। उन्होंने यह भी बताया कि जा दो वरिष्ठ नेता आपस में मिलते हैं तो राजनीति की बात होती ही है। ज्ञात हो कि हाल में जिस तरह जदयू और लोजपा नेताओं के बीच जुबानी जंग हुई उससे नीतीश कुमार खुद आहत हुए। उधर जीतनराम मांझी महागठबंधन में कई दिनों से समन्वय समिति की मांग कर रहे थे पर उनकी मांग को किसी ने ध्यान नहीं दिया। लोजपा की जदयू से तनातनी ने मांझी को नीतीश के निकट आने का मौका दे दिया। समझा जाता है कि 30 अगस्त को मांझी एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं।

जानिए नीतीश के सत्ता में आने के फार्मूले। The strategy of Nitish Kumar to rule Bihar.

पटना।( विद्रोही की कलम से)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार 15 वर्षों से मुख्यमंत्री की ताज पहन रहे हैं।इसकी कुछ खास वजह है। उन्होंने इस मिथक को भी तोड़ा है कि जिस जाति की जनसंख्या अधिक होगी उसके मुख्यमंत्री बनने की ही संभावना अधिक होगी। प्रदेश में महज 4 फीसदी जनसंख्या कुर्मी की है पर अपनी मारक रणनीति से नीतीश कुमार 15 फीसदी जनसंख्या वाले पर भी भारी पड़ते हैं। इसलिये बिहार के धरोहर चाणक्य ने कहा है जिसके पास बुद्धि है उसी के पास बल भी है, बुद्धि यस्य बलं तस्य। नीतीश ने चाणक्य के रास्ते पर चलते हुए बड़ी बड़ी हस्तियों को साधा है। भाजपा के दिग्गज भले ही अन्य राज्यों में अपनी पैठ जमा लिए हो पर बिहार में भाजपा नीतीश की शरण में ही है। भाजपा के सारे गणित बिहार में नीतीश के आगे फेल हो जाते हैं। वास्तविकता है कि भाजपा बिहार में यहअकेले चलने की ताकत नहीं है। अब चलते हैं उन तरीकों पर जिसके बल पर नीतीश राज कर रहे हैं। पहला है, राजनीतिक समीकरण। हमेशा नीतीश मजबूत राजनीतिक समीकरण वाले दलों को साथ लेकर चलते हैं। उनमें यह खासियत है कि बड़े दलों/ वोट बैंक वाले उनके चुम्बकीय आकर्षण में आ जाते हैं। फिलहाल भाजपा

मांझी के साथ एक नाव में क्या नीतीश चिराग को बैठाएंगे!!

पटना। जैसे जैसे बिहार का चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे नए राजनीतिक समीकरण की बुनियाद पड़ने लगी है। जिसका जितना मजबूत समीकरण बनेगा बाजी उसी के हांथ लगने की उम्मीद है। महागठबंधन से अलग हुए जीतनराम मांझी ने नया ठौर खोज लिया है। वह नीतीश की अगुवाई वाले जदयू के साथी बनेंगे। इस बात का आज पुख्ता प्रमाण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दे दिए हैं। ऊर्जा क्षेत्र के कई परियोजनाओं के शिलान्यास, उद्घाटन और कार्यारम्भ के मौके पर नीतीश कुमार ने वर्चुअल कांफ्रेंस में जीतनराम मांझी को भी साथ बैठाया।  आज करीब 4900 करोड़ के ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास हुआ है। जाहिर है मांझी अब जदयू का नाव खेयेंगे। अब एक सवाल है। जब मांझी जदयू के साथ आ जाएंगे तो लोजपा नेता चिराग पासवान कहां रहेंगे। क्या नीतीश उन्हें जदयू में रखना पसंद करेंगे? ये लाख टके का सवाल है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने चिराग को अपने साथ नहीं रहने की मंशा जाहिर कर दी है। इसलिए मांझी के लिए पहले से स्पेस बना दिया। अलबता भाजपा के लिए ये धर्मसंकट है। समझ जाता है कि मांझी के जदयू से हांथ मिलाने के बाद बिहार में नया समीकरण उभर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की सुशांत मौत में सीबीआई जांच की हरी झंडी। मुंबई पुलिस खा गई गच्चा

नई दिल्ली। (विद्रोही)। आखिर सुप्रीम कोर्ट ने आज वह फैसला सुना दिया जिसका देश को इंतजार था। यह केस इतना कठिन था कि कोर्ट को अपना विशेष पावर 142 अनुच्छेद का सहारा लेना पड़ा। संविधान में प्रदत 142 पावर का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच सीबीआई से कराने पर सहमति दी है। 34 पृष्ठ के इस जजमेंट को पढ़ने से साफ जाहिर होता है कि सुशांत मामले में मुंबई पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। यदि मुंबई पुलिस सुशांत मौत मामले में पहले ही FIR कर दी होती तो सीबीआई जांच की नौबत ही नहीं आती और न ही पटना पुलिस को fir करने की जरूरत पड़ती। कोर्ट ने यह माना है कि बिना स्टेट की सहमति से सीबीआई जांच की सिफारिश सही नहीं है। लिहाजा कोर्ट को 142 अनुछेद का प्रगोग करना पड़ा है। यदि अभी भी मुंबई पुलिस चाहती है तो FIR दायर कर सकती है।

बिहार में नया राजनीतिक समीकरण आकार लेगा!

न्यूज़।बिहार में नया राजनीतिक समीकरण करवट लेने जा रहा है। जदयू से लोजपा के रिश्ते ठीक नहीं है। जबकि दोनों एनडीए के मजबूत घटक दल हैं। दोनों पार्टियां एक दूसरे पर इसतरह लांक्षन लगाए हैं कि किसी एक का एनडीए में रहना मुश्किल दिखाई देता है। जदयू के सांसद ललन सिंह ने चिराग को ऐसे व्यक्ति से तुलना कर कि जिस डाली पर बैठे उसी को काट रहे हैं। यानी जदयू की नजर में चिराग मूर्ख जैसी हरकत कर रहे हैं। वहीं लोजपा के प्रवक्ता ने ललन सिंह को राजनीति का कोढ़ बता दिया। लिहाज दोनों दलों के संबंध टूट के कगार पर है। वैसे भी नीतीश से पंगा लेना चिराग को महंगा पड़ सकता है।

बिहार में लॉक डाउन 6 सितंबर तक बढ़ा

न्यूज़। बिहार में लॉक डाउन की अवधि 6 सितंबर तक बढ़ा दी गयी है। 1 अगस्त से 16 अगस्त तक जो बिहार में बंदिशें लागू थी वैसी ही बंदिशें 6 सितंबर तक जारी रहेगी। राज्यसकर के मुताबिक ऑनलॉक-3 को 6 सितंबर तक आगे बढ़ाया गया है। इस दौरान पहले की तरह सार्वजनिक बसें नहीं चलेंगी। रात्रि कर्फ्यू जारी रहेगी।

Bihar in a mood of movement। बिहार से चिंगारी सुलग गयी है..

 पटना। जेपी आंदोलन के बाद एक बार फिर बिहार आंदोलन के मूड में है। पूरे देश मे यदि कहीं की खबरें सर्वाधिक छाई है तो वह बिहार ही है। हाल में नवोदित फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्मय मौत का मामला सुर्खियों में है। बिहार में चुनाव को लेकर सर्गमियां हैं। एनडीए के घटक दल जदयू और लोजपा के बीच उठापटक जारी है। राजनीति के मौसम वैज्ञानिक हवा का रुख तौल रहे हैं। रेलवे के निजीकरण को लेकर सासाराम में छात्र उबाल पर हैं। कांग्रेस नेता राजीव त्यागी के मामले में यहां पटना में भाजपा नेता संबित पात्रा के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करा दी गयी है। उधर बाढ़ के प्रकोप से बिहारवासी त्रस्त हैं। कोरोना के बढ़ते मरीज से जनता भयभीत है। कुलमिलकर बिहार से चिंगारी सुलग गयी है।